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हाइलाइट्स
अमेरिका के हवाई के माउई द्वीप के लाहाइना शहर में यह घटना हुई थी.
जंगल की आग के शहर में घुसने से 110 लोगों की मौत हो गई थी.
शहर के अधिकारियों का कहना है कि उनका सायरन ना बजाना सही फैसला था.
अमेरिका का हवाई द्वीपों के जंगलों में आग लगने पर वहां के अधिकारियों ने लोगों को तुरंत चेतावनी देने के लिए सायरन नहीं बजाया. इस मुद्दे पर हवाई के अधिकारियों की आलोचना हो रही है. बुधवार को ही हवाई के माउई द्वीप के लाहाइना शहर में जंगल की आग का असर पहुंचा तो अधिकारियों ने किसी तरह के चेतावनी सायरन का उपयोग नहीं किया. इतना ही नहीं अधिकारियों का यहां तक कहना है कि आपातकालीन सायरन बजाने से बी लोगों की जानें नहीं बच पातीं. लेकिन सवाल यही है कि अगर 5-10 मिनट पहले भी चेतावनी जारी होने से लोगों को खतरे के बारे में पता चलता तो क्या उनकी जान नहीं बच सकती थी?
कितने लोगों की हुई थी मौत
पिछले हफ्तचे माउई द्वीप के शहर में 110 लोगों को जंगल की आग की वजह से मौत हो गई. इनमें से कई लोग ऐसे भी थे जिन्हें आग के लपटों को देखने पर ही पता चला कि शहर में आग लगी हुई है. लेकिन माउई की आपातकाल प्रबंधन एजेंसी के प्रमुख हरमन एंडाया, जो करीब 80 सायरन के नेटवर्क का संचालन करते हैं, ने भी इस फैसले का समर्थन किया है.
सुनामी के लिए हैं ये सायरन
इस जंगल की आग से लाहाइना के करीब 12 हजार लोग प्रभावित हुए थे. एंडाया ने प्रेस कॉन्फ्रेस में बताया कि ये सायरन प्रमुख तौर पर सुनामी जैसी आपदाओं के लिए उपयोग में लाए जाते हैं. जब इस तरह का सायरन बजाया जाता है कि लोग इसे सुन कर ऊंचे इलाके में जाने की कोशिश करने लगते हैं.
उल्टा असर हो सकता था
एंडाया कहते हैं कि अगर उनकी टीम ने उस रात को सायरन बजा दिया होता तो उन्हें डर है कि लोगों पहाड़ों की तरफ जाने लगते जहां से आग आ रही थी. लेकिन आपदा के बाद से ही इस कदम की आलोचना हो रही है. आपदा में बचे हुए लोगों की शिकायत है कि आधिकारिक तौर पर किसी तरह की चेतावनी नहीं दी गई थी. जबकि मोबाइल पोन नेटवर्क और बिजली की आपूर्ति ठप्प हो गए थे.
आमतौर पर हवाई द्वीपों में जंगल की आग शहरों में इस तरह से नहीं घुसती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
क्या सुन पाते लोग?
इससे चेतावनी जारी करने वाला तंत्र भी सीमित हो गया था. एंडायना ने बुधवार को पता लगाया कि यदि सायरन को 121 डेसिबल चेतावनी स्तर पर बजाया जाता तो क्या लोग इसे पहचान पाते. य121 डेसिबल की चेतावनी पर बजने वाला सायरन की आवाज अमेरिकन एकेडेमी ऑफ ऑडियोलॉजी के मुताबिक एक जेट विमान की उड़ान भरने के आवाज के बराबर होता है.
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सायरन बजना या ना बजना एक ही बात होती
एंडाया का कहना था कि बहुत लोग अपने अपने घरों के अंदर थे और एयरकंडीशनर में थे या नहीं थे, लेकिन जो भी हो वे सायरन सुनने की स्थिति में नहीं थे. इसके अलावा उस दिन हवा भी बहुत तेज चल रही थी और इस तेज हवा के कारण भी वे शायद ही सायरन सुन पाते. यह पूछे जाने पर क्या उन्होंने सायरन ना बजाने का अफसोस है, तो इस पर एंडाया ने कहा, “बिलकुल नहीं.”
जंगल का आग अमूमन शहरों, हवाई जैसे द्वीपों के शहरों में तक तो नहीं पहुंचती है.
(प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
लोगों को सरकार से कई शिकायतें
वहीं हवाई के गवर्नर जोश ग्रीन ने पिछले हफ्ते ही इस हादसे के पहले, दौरान और बाद की घटनों की पड़ताल और जांच के आदेश दिए हैं. इसका मकसद यह जानने है कि क्या इस हादसे से किसी तरह के सबक सीखे जा सकते हैं या नहीं. वहीं बचे हुए लोगों की शिकायत है कि सरकार उनकी मदद करने में सुस्ती दिखा रही है. मृतकों की बॉडी हासिल करने में समय लग रहा है और उन्हें भी घर जाने से रोका जा रहा है.
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लेकिन वही सरकार का कहना है कि सर्च ऑपरेशन में कई तरह की चुनैतियां हैं. खुद खोजी कुत्ते तक इस भीषण गर्मी में काम करने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं. उन्हें कांच और अन्य सामान के मलबे में खोजबीन करनी हैऔर उन्हें भी आराम की जरूरत पड़ती है. अधिकारियों का कहना है कि राहत और बचाव कार्य समय ले सकते हैं. लोगों के डीएनए लिए जा रहे हैं जिससे गुम हुए लोगों की पहचान आसान हो सके. वहीं केंद्र स्तर पर बाइडन सरकार ने भी हर संभव मदद का ऐलान किया है.
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Tags: Climate Change, Environment, Global warming, Research, USA, World
FIRST PUBLISHED : August 18, 2023, 12:59 IST
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