September 20, 2024

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हाइलाइट्स

जो बाइडन रूस और हमास के दोनों को अलग-अलग खतरे के तौर पर देखते हैं.
उनका मानना है कि उनमें समानता यही है कि दोनों लोकतंत्र को नष्ट करना चाहते हैं.
बाइडन ने दोनों मामलों में अमेरिका की आगे की नीति के बारे में संकेत दिए हैं.

हमास के इजरायल पर हुए हमले से छिड़े युद्ध के बाद देर सबेर इसकी तुलना रूस यूक्रेन युद्ध में होना तय माना ही जा रहा था. रूस ने तो मध्य पूर्व की ताजा घटनओं के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराने वाला बयान देते हुए अमेरिकी नीतियों को मध्य पूर्व में नाकाम करार दिया. इजरायल हमास युद्ध से बदलते भूराजनैतिक समीकरणों में एक प्रमुख बदलाव यही आया है कि अमेरिका को अब एक नहीं दो युद्धों से निपटना है और उसे दोनों में अपनी भूमिका को जायज ठहराना होगा. जो बाइडन ने इसी के मद्देनजर अपने एक बयान में हमास और व्लादिमीर पुतिन  की तुलना की है जो आने वाले समय समय में अमेरिकी रणनीति की ओर भी इशारा करता है.

क्या कहा बाइडन ने
बाइडन ने अपनी मध्य पूर्व की यात्रा से लौटने के बाद अपने देश को सम्बोधित करते हुए कहा कि  हमास और रूस दोनों ही भले ही अलग ही तरह के खतरे का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन दोनों एक बड़ी समानता यही है कि लोकतंत्र को पूरी तरह से खत्म करने पर तुले हुए हैं. उन्होंने यह भी कहा कि, “हम पार्टी नफरत भरी राजनीति को अपने महान देश की जिम्मेदारियों के लिए बाधक बनने नहीं दे सकते”

कहीं से भी पीछे ना हटने का संकेत
बाइडन ने कड़े शब्दों में कहा है कि वे ना तो रूस यूक्रेन युद्ध में अपना पक्ष कमजोर होने देंगे और ना ही हमास के लिए किसी तरह की रियायत देना चाहेंगे. उन्होंने कहा कि हम हमास जैसे आंतकीयों और पुतिन जैसे तानाशाहों को जीतने ना दे सकते हैं और ना ही जीतने देंगे. उन्होंने यह भी कहा कि वे कांग्रेस से यूक्रेन और इजरायल के लिए भारी वित्तीय सहायता की मांग करेंगे और शुक्रवार को उन्होंने कांग्रेस से 105 अरब डॉलर के फंड मांग भी कर डाली.

वैश्विक नेतृत्व के लिए निवेश
बाइडन ने दलील दी थी कि यह फंड अमेरिका के लिए भविष्य में वैश्विक नेतृत्व के लिए निवेश की तरह होगा. यह एक स्मार्ट निवेश होगा जिसके लाभांश पीढ़ियों की अमेरिकी सुरक्षा के लिए मिलेंगे. उन्होंने बताया कि अमेरिकी नेतृत्व वही है जो दुनिया को एक साथ रखता है. अमेरिकी साझेदारियां अमेरिका को सुरक्षित रखती हैं. अमेरिकी मूल्य ही उसे एक ऐसा साझेदार बनाते हैं जो दूसरे देशों के साथ काम करना चाहता है.

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बाइडन के लिए मध्य पूर्व में इजरायल हमास युद्ध को रोकने की बहुत कड़ी चुनौती होगी. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

किसी तरह से कमजोर नहीं?
साफ है कि बाइडेन खुद को अंतरराष्ट्रीय मंच पर खुद को कमजोर या हमास के हमले से उत्पन्न नई स्थितियों से किसी तरह से जरा भी परेशान नहीं दिखाना चाहते हैं. कई विश्लेषकों का मानना है कि इजरायल हमास युद्ध के कारण अमेरिका का ध्यान और ऊर्जा यूक्रेन पर हट कर मध्य पूर्व पर ज्यादा चली जाएगी जिसे अमेरिका ने खारिज भी किया था.

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अमेरिकी चुनाव पर भी नजर
बाइडन का यह बयान अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिहाज से भी देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि बाइडन अपने बयान के जरिए रिपब्लिकन्स को साधना चाहते हैं. क्योंकि हो सकता है कि रिपब्लिकन्स यह प्रचार करें कि बाइडन अमेरिकियों का पैसा युद्ध में झोंक रहे हैं. लेकिन ने इसे दुनिया की व्यवस्था को नया स्वरूप और अमेरिकियों की रक्षा के लिए बड़े संघर्ष का हिस्सा दर्शाना चाह रहे हैं.

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बाइडन का बयान अगले साल होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिहाज से भी देखा जा रहा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Unsplash)

आसान नहीं फंड जुटाना
बाइडन के साथ एक समस्या यह है कि कांग्रेस जहां रिपब्लिकन्स का बहुमत है, वहां से इतनी बड़ी राशि की मंजूरी दिलाना आसान नहीं होगा, भले ही वित्तीय मामलों में खुद रिपब्लिकन्स पूरी तरह से एक नहीं हैं और जो स्पीकर के चुनाव पर सहमति नहीं बना पा रहे हैं. रिपब्लिकन्स और कई मतदाताओं ने फरवरी 2022 में यूक्रेन को दी जाने वाली प्रस्तावित 43.9 अरब डॉलर की राशि का मजबूती से विरोध किया था.

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इसके अलावा जो बाइजन इजरायल का खुल कर समर्थन अमेरिका में रहने वाले यहूदी वोट बैंक को भी साधने की कोशिश कर रहे हैं. उन पर अरब देशों और गाजा पट्टी पर हो रहे हमलों में मर रहे और घायल हो रहे लोगों प्रति सहानुभूति दिखाने वालों को भी साथ लाने का दबाव है जिससे मध्य पूर्व में पैदा हुई अशांति को बढ़ने से रोका जा सके. वे गाजा पट्टी में मिस्र के जरिए मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए भी प्रायस कर चुके हैं. लेकिन इतना तय है कि मध्यपूर्व बाइडन के लिए यूक्रेन संकट की तुलना में ज्यादा चुनौतीपूर्ण है.

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