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हाइलाइट्स
फिलहाल इंसान के लिए चांद पर एक दो दिन के लिए ही जाना संभव है.
नासा अपने कोशिश में है कि इंसान चंद्रमा पर लंबे समय तक रुक सकें.
नासा का कहना है कि वह जल्दी है चंद्रमा पर घर बनाने की तकनीक शुरू कर देगा.
अगले कुछ सालों में इंसान चांद पर पहुंच जाएगा, बल्कि चांद पर जाने लगेगा. अमेरिका चीन और यहां तक के रूस के बेस या रिसर्च सेंटर चंद्रमा पर अगले दशक में काम करने लगेंगे और वहां इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की तरह एस्ट्रोनॉट्स का आना जाना शुरू हो जाएगा. लेकिन क्या चंद्रमा पर इंसान के लिए घर बनने लगेंगे. अगर ऐसा है तो यह कब तक होगा. एक रिपोर्ट के मुताबिक नासा का ऐसा करने का लक्ष्य साल 2040 का है. जहां कुछ वैज्ञानिक इसे असंभव बता रहे हैं तो वहीं कुछ वैज्ञानिकों को कहना है कि यह पूरी तरह से संभव है. नासा ने यह भी बताया है कि वह इस मुश्किल से दिखने वाला काम को संभव कैसे बनाएगा.
बहस के बावजूद काम जारी
चंद्रमा पर जाने का इंसान का सपना नई बात नहीं है, लेकिन करीब छह दशक पहले ही यह असंभव से संभव वाले काम में शामिल हो गया था. जब 1969 में नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने चंद्रमा पर पहला कदम रखा था तब भी इस बात पर बहस छिड़ी थी कि क्या चंद्रमा पर बस्ती बसाई जा सकती है और यह बहस आज भी कुछ अलग स्वरूप में जारी है. हाल ही में न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि नासा चंद्रमा पर घर बनाने की योजना बना रहा है.
असंभव नहीं है ये
करीब 50 साल पहले अपोलो -17 अभियान के जरिए चंद्रयात्रियों ने वहां 75 घंटों का समय बिताया था. अब नासा का इरादा इंसान को वहां लंबे समय तक रह पाने में सक्षम बनाने का है. कई विशेषज्ञों का यह दावा है कि नासा की यह टाइमलाइन बहुत ही महत्वाकांक्षी है. लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक करीब आधा दर्जन वैज्ञानिकों का कहना है कि 2040 का लक्ष्य चंद्रमा पर संचरनाएं तैयार करने के लिहाज से बिलकुल संभव है. .
थ्रीडी प्रिंटर करेगा संभव
नासा का कहना है कि वह अपनी इस योजना पर थ्रीडी प्रिंटर को चंद्रमा पर भेज कर साकार करेगा जिससे वहां पर संरचनाओं का निर्माण होने लगेगा. रिपोर्ट के मुताबिक प्रिंटर चंद्रमा की ऊपरी परत पर ही मौजूद क्रेटर की सतह पर चट्टानों और खनिजों के टुकड़ों से कंक्रीट बनाने का काम करेगा. एक बार यह शुरू होने पर घर बनाना केवल समय के बात रह जाएगी.
नासा का आर्टिमिस अभियान के अगले चरण इस दिशा में बहुत अहम कड़ी साबित होंगे. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
लगता है हो जाएगा
नासा के टेक्नोलॉजी मैच्योरेशन की निदेशक निकी वेर्कहेइजर ने बताया है कि नासा अभी नाजुक क्षणों मे हैं और कुछ लिहाज से ऐसा लगता है कि यह सपना है जबकि दूसरे नजरिए से यह अटल लगता है कि हम वहां पहुंच कर ऐसा कर लेंगे. इसके लिए नासा आधुनिक तकनीक और निजी कंपनियों और यूनिवर्सिटी से साझेदारी पर नर्भर है.
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ऐसा कोई कारण नहीं
वेर्कहेइजर का कहना है कि साझा लक्ष्य के लिए हमें सभी सही लोग सही समय पर मिल गए हैं. और इसीलिए हमें लगता है कि हम ये लक्ष्य हासिल कर सकते हैं. हर एक व्यक्ति इस कदम को मिलकर उठाने के लिए तैयार है और इसलिए यदि हमें अपनी मूल क्षमता विकसित कर पाए तो ऐसा कोई कारण नहीं कि यह संभव ना हो.
नासा का कहना है कि चंद्रमा पर घर बनाने में थ्रीडि प्रिंटिंग तकनीक उसकी मदद करेंगी. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
थ्रीडी प्रिंटर का चल रहा है परीक्षण
फिलहाल थ्रीडी प्रिंटर का परीक्षण चल रहा है जिसके सफल होने के बाद उसे फरवरी 2024 को चंद्रमा पर भेजा जाएगा. लेकिन उससे पहले नासा को आर्टिमिस 2 अभियान के जरिए अंतरिक्ष यात्रियों को अगले साल सैटेलाइट पर भेजना होगा. अभी आर्टिमिस अभियान के जरिए केवल रोबोट ही चंद्रमा का चक्कर लगाकर पृथ्वी पर सुरक्षित लौटा था.
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आर्टिमिस 2 अभायान में चार मानव क्रू सदस्य होंगे. वहीं आर्टिमिस 3 2025 या 2026 में प्रक्षेपित किया जाएगा जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा जिसमें स्पेसएक्स के स्टारशिप की मदद ली जाएगी. लेकिन अहम सवाल चंद्रमा पर जा पाना या जाना ही नहीं है. सवाल यही है कि वहां पर इंसान की लंबी उपस्थिति कैसे सुनिश्चित की जा सकेगी. इसके लिए बहुत सारी समस्याएं सुलझाने पर काम कर रहा है. वहां बेस बनाना केवल एक समस्या का हल है.
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Tags: Moon, Nasa, Research, Science, Space
FIRST PUBLISHED : October 6, 2023, 09:29 IST
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