September 20, 2024

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हाइलाइट्स

ऐसे अमेरिकी कम नहीं हैं जो कहते हैं कि वे भूतों में विश्वास करते हैं.
कई तो यहां तक कहते हैं कि उनके भूतों को लेकर अनुभव भी हुए हैं.
उन्होंने इसके प्रमाण भी जुटाए होते हैं जिन्हें वैज्ञानिक तौर पर पुष्टि नहीं की जा सकी है.

दुनिया में भूतों, मरने के बाद इंसान की भटकती आत्मा, का अस्तित्व होता है या नहीं इस पर लंबे समय से बहस चली आ रही है. इनके अस्तित्व को  परखने के लिए कई तरह के प्रयोग भी किए गए हैं और अब भी किए जाते हैं. यह भी पाया गया है कि बहुत से पढ़े लोग भी भूत प्रेत में विश्वास करते हैं. शिक्षित और विकसित देश होने के नाते माना जाता है कि अमेरिका में भूत प्रेत को मानने वालों की संख्या नहीं के बराबर या बहुत ही कम होगी. लेकिन ऐसा नहीं है, अमेरिका में लाखों लोग भूतों में विश्वास करते हैं. एक विशेषज्ञ ने इसके पीछे की वजह का खुलासा किया है.

कई अमेरिकी मानते हैं भूतों को
2021 में हुए एक 1000 अमेरिकी वयस्कों पर हुए सर्वे में 41 फीसदी लोगों ने माना के वे भूतों में विश्वास करते हैं और 20 फीसदी ने कहा कि उन्होंने खुद भूतों का अनुभव किया है.  इस आंकड़े पर ही भरोसा किया जाए तो अमेरिका में करीब 5 करोड़ लोग भूत या प्रोतात्मा का अनुभव कर चुके हैं या मानते हैं.

भूतों के होने के अनुभव
कई लोगों ने ऐसा अनुभव किए हैं जिसमें उन्होंने पाया है कि घर में कुछ अजीब तरह की हरकते होती देखी गई हैं जिनका उस समय किसी इंसान के द्वारा किया जाना संभव ही नहीं  है. या फिर घर या आसपास ऐसी आवाजें आती सुनाई दीं जहां किसी इंसान का होना संभव ही नहीं था. अचानक घर की चीजों का टूटना फूटना या हवा में उड़ना जैसे अनुभव तक किए गए हैं.

एक प्रमुख सवाल- विश्वास क्यों?
यूनिवर्सिटी ऑफ साउट कैरोलीना के प्रतिष्ठित प्रोफेसर रह चुके समाजशास्त्री बैरी मार्कोवस्की ने भूतों, एलियन, अंधविश्वास जैसे विषयों पर बहुत काम किया है. उन्होंने अपने लेख में इसकी व्याख्या की है कि बड़ी संख्या में अमेरिकी भूतों में विश्वास क्यों मानते हैं. मूल रूप से वे इस तरह के मामले में खुला दिमाग रखना पसंद करते हैं.

क्या भूत होना संभव है?
क्या वास्तव में इस तरह के अनुभव भूतों की वजह से होते हैं या फिर यह कुछ और ही होता है. इसके लिए सबसे पहले हमें इस बात पर विचार करना होगा कि क्या भूतों को होना संभव भी है.  अजीब सी आवाजें सुनना, हिलते हुई चीजों कों देखना, प्रकाश के पुंज को देखना या यहां तक कि किसी पारदर्शी व्यक्ति को देखने जैसे अनुभवों की पड़ताल किए बिना ही मान लेते हैं के वे भूतों का अनुभव कर रहे हैं.

विरोधाभासी बर्ताव?
लेकिन फिर भी कभी किसी को भूतों की उम्र ढलते, खाना खाते या सांस लेते, या यहां तक कि बाथरूम का इस्तेमाल करते हुए, बताते नहीं देखा या सुना गया है. हां कई बार पलंबर इस बात की शिकायत पाते हैं जिसमें कहा जाता है कि “भूत ने टॉयलेट में फ्लश कर दिया.“ तो फिर क्या भूत खास किस्म की ऊर्जा से बने होते हैं जिससे बिना गायब हुए उड़ सकते हैं. ऐसे में उन्हें जरूर किसी पदार्थ से बना हुआ होना चाहिए, लेकिन फिर दीवार से पार होते हुए पदार्थ की तरह बर्ताव करना चाहिए.

नहीं मिले हैं प्रमाण!
सदियों से होते रहे वैज्ञानिक शोध में ऐसा कुछ भी नहीं पाया गया और इसलिए भौतिकविद भूतों के अस्तित्व को नहीं मानते हैं. ना ही ऐसा कोई या किसी तरह का प्रमाण मिला है कि कोई व्यक्ति मरने के बाद भी किसी प्रकार के अस्तित्व में रहता है. यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि आज से पहले हमारे पास कैमरा, मोबाइल फोन, माइक्रोफोन, जैसे कई उपकरण या तरीके नहीं थे जिससे हमें प्रमाण जुटा सकें.

सच ये है कि लोगों के जुटाए गए प्रमाणों में वह प्रमाणिकता है ही नहीं कि उन्हें प्रमाण कहा जा सके.चाहे कैमरे की धुंधली रिकॉर्डिंग हो, संदेहास्पद आवाजों की रिकॉर्डिंग,  या कुछ और लोग बाद में अपने जुटाए गए प्रमाणों को भूतों के होने का सबूत “मान” लेते हैं जबकि अधिकांश तौर पर बाद की पड़ताल तक नहीं होती है. जैसे कैमरे में रिकॉर्ड हुई चलती हुई रोशनी कभी किसी वस्तु के पार नहीं जाती क्योंकि वह प्रभाव वास्तव में धूल की वजह से होता है. हकीकत तो ये है कि इस तरह के प्रमाणों की अन्य प्रकार की व्याख्या भी संभव होती है.

Tags: Ghost, Life, Research, Superstition, USA

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