September 20, 2024

[ad_1]

हाइलाइट्स

अमेरिका भारतीय एस्ट्रोनॉट को अगले साल आईएसएस में भेजेगा.
वह भारत को अपना स्पेस स्टेशन बनाने में सहयोग देने के लिए तैयार है.
इस सहयोग में अमेरिका को की मोर्चों पर फायदे मिलेंगे.

भारत में अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के प्रशासक बिल नेल्सन की भारत यात्रा पर दुनिया की निगाहें हैं. नेल्सन की यह यात्रा दुनिया की सबसे बड़ी और सफल स्पेस एजेंसी और तेजी से बढ़ती और दुनिया को अपने अभियानों से चौंकाने वाली भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो के बीच होने वाले गठजोड़ के बारे में जानने को उत्सुक है. इस यात्रा के दौरान जो मुद्दे उठते दिख रहे हैं, उनमें भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को इटंरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचाने के लिए  सहयोग और भारत को खुद का इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन बनाने में सहयोग शामिल हैं. नेल्सन ने साफ कहा है कि अमेरिका भारत को अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाने में सहयोग करने के लिए तैयार है. लेकिन आखिर अमेरिका ऐसा क्यों कर रहा है, इसके कुछ कारण हैं.

आईएसएस में भारतीय भेजना
नेल्सन ने अपनी भारत यात्रा के दौरान ऐलान किया कि अमेरिका और भारत अगले साल के अंत तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री भेजने पर काम कर रहे हैं. पीटाई के मुताबिक उन्होंने साफ किया यात्री का चयन नासा नहीं खुद इसरो करेगा. नेल्सन का यह ऐलान एक सवाल के जवाब में आया था.

भारत का स्पेस स्टेशन
उन्होंने कहा कि “हम” उम्मीद कर रहे हैं उस समय तक एक व्यवसायिक स्पेस स्टेशन बन जाएगा और उन्हें लगता है कि भारत 2040 तक अपना एक व्यवसायिक स्पेस स्टेशन बनाना चाहता है. अगर भारत चाहता है कि हम उसके साथ सहयोग करें तो हम तैयार हैं, लेकिन यह भारत पर निर्भर करता है.  उन्होंने भारत को अंतरिक्ष के लिए एक बड़ा सहयोगी बताया.

कई अमेरिकी कंपनियां भी
नेल्सन के साथ अमेरिका की बोइंग, ब्लू ओरिजन, एलएलसी, वॉयजर स्पेस होडिंग्स, के अधिकारी भी इसरो से सहयोग के लिए बातचीत के लिए आए हैं.ब्लूमबर्ग के मुताबिक यह भारत और अमेरिका के बीच बाहरी अंतरिक्ष के बढ़ते सहयोग का प्रतीक है. साफ है अगर अमरिका को भारत का सहयोग मिल गया तो उसे अंतरिक्ष प्रतिस्पर्धा में एक ताकतवर सहयोगी मिल जाएगा.

US want to collaborate with India for Space Station, India, USA, ISRO, NASA, Space, Science, China, International Space Station, Research, Space Station, Astronauts, Indian Astronauts, ISS, commercial Space Station,

नासा की भारत को सहयोग की यह पहल उसके लिए निवेश की संभावनाएं भी बढ़ाने का काम करेंगी. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

बदल रहे हैं अंतरिक्ष को लेकर दुनिया के हालात
कई लोगों को हैरानी हो सकती है कि आखिर अमेरिका जैसा देश जो एक समय भारत को किसी भी तरह की तकनीक देने में हिचकिचाया करता था आखिर स्पेस स्टेशन जैसे मुद्दे पर सहयोग करने को तैयार क्यों हो गया. बल्कि आगे आकर भारत को उत्साहित क्यों कर रहा है. इसके लिए स्पष्ट रूप से बदले हुए अंतरराष्ट्रीय और अंतरिक्ष स्पर्धा के हालात हैं.

यह भी पढ़ें: अंतरिक्ष यात्रा से बढ़ सकती है पुरुषों में यौन समस्या, रिसर्च में खुलासा

चीन के साथ प्रतिस्पर्धा
इस समय दुनिया में अंतरिक्ष के क्षेत्र को लेकर अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य बहुत अलग है. जहां राजनैतिक रूप से चीन अमेरिका का सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी बन कर आगे बढ़ रहा है. राजनैतिक रूप से बंटती दुनिया में अब दुनिया के ज्यादा से ज्यादा देशों को अपने साथ करना एक बड़ी जरूरत बनती जा रही है. इसमें निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी में अमेरिका दूसरे देशों से सहयोगी चाहता है.

US want to collaborate with India for Space Station, India, USA, ISRO, NASA, Space, Science, China, International Space Station, Research, Space Station, Astronauts, Indian Astronauts, ISS, commercial Space Station,

इसरो के लिए भी नासा का सहयोगी रुख एक अवसर की तरह हो सकता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

अंतरिक्ष के क्षेत्र में ध्रुवीकरण?
अमेरिका से विरोध के चलते चीन और रूस साथ आ चुके हैं. और भारत तेजी से बढ़ती अंतरिक्ष ताकत बन रहा है जिसके अंतरिक्ष बाजार में भी कई संभावनाएं हैं. खुद भारत में भी निजी क्षेत्र अंतरिक्ष में कई संभावनाएं खोज रहा है. वहीं अगले साल की शुरुआत में इसरो और नासा के सहयोग से निसार अभियान के प्रक्षेपण होने जा रहा है जिसे दोनों स्पेस एजेंसी के लिए दूरगामी सहयोग की शुरुआत के तौर पर भी देखा जा रहा है.

यह भी पढ़ें: Explained: चंद्रयान-4 अभियान के जरिए इसरो कैसे लाएगा चंद्रमा से नमूने?

अमेरिका यदि भारत को अपना सहयोगी बनाने में सफल होता है उसकी ताकत बहुत बढ़ी हुई मानी जाएगी. क्यों अब अमेरिका नहीं चाहेगा कि भारत को गगनयान की तरह अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण के लिए रूस का रुख फिर से ना करना पड़े. अमेरिका पहले भी रूस यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत को रूस के साथ जाने का नुकसान देख चुका है. भारत और अमेरिका का गठजोड़ दोनों देशों को अंतरिक्ष  प्रतिस्पर्धा में बहुत आगे ले जा सकता है.

Tags: China, India, International Space Station, ISRO, Nasa, Research, Science, Space, USA

[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *